नयी दिल्ली, 1 फरवरी : केंद्रीय बजट 2022-23 में गहरे महासागरीय मिशन को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए इस मद में 650 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह मिशन समुद्र में मौजूद विशाल सजीव और निर्जिव संसाधानों की खोज पर केंद्रित है। पिछले साल के संशोधित अनुमान में इस मद में केवल 150 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
बजट में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिए पिछले साल के 2369.54 करोड़ रूपये के मुकाबले 2653.51 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें पूंजीगत व्यय के रूप में खर्च होने वाले 450 करोड़ रुपये शामिल हैं। केंद्र ने पिछले साल जून में इस मिशन को अनुमति दी थी, और इसकी घोषणा पिछले बजट में की गई थी।
सरकार समुद्र तल पर छह किलोमीटर की गहराई तक मानवयुक्त मिशन भेजना चाहती है और इस उद्देश्य के लिए गहरे समुद्र में चलने वाले वाहन विकसित करने की योजना तैयार की गई है। महासागर मिशन के तहत समुद्र में खनन, मानवयुक्त सबमर्सिबल और अंडरवाटर रोबोटिक्स से जुड़ी प्रौद्योगिकी का विकास भी शामिल है। मिशन के तहत महासागरों के तलों की मैपिंग और 6000 मीटर की गहराई तक जाने वाली एक मानवयुक्त सबमर्सिबल के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी का विकास करना शामिल है। इसके तहत खनन प्रणाली विकसित करने समेत समुद्री जैव संसाधनों के न्यायोचित उपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा। अपतटीय थर्मल ऊर्जा-संचालित अलवणीकरण के लिए इंजीनियरिंग डिजाइन विकसित करना भी इसमें शामिल है। मौसम विज्ञान के लिए आवंटन पिछले बजट में 469.75 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 के लिए 514.03 करोड़ रुपये किया गया है।